२९६ स्वर्गीय मन्ना – यीशु का शरीर आत्मा का भोजन |
१ कुरंथियों २:१५ आत्मिक जन सब कुछ परखता है परंतु वह स्वयं किसी मनुष्य के द्वारा परखा नही जाता।
रोमियो १२:१ अत: हे भाईयों, मैं परमेश्वर की दया का स्मरण दिलाकर तुमसे आग्रह करता हूँ कि तुम अपने शरीर को जीवित, पवित्र और ग्रहण योग्य बलिदान करके परमेश्वर को समर्पित कर दो; यही तुम्हारी आत्मिक आराधना है।
युहन्ना ६:५३-५६ यीशु ने उन से कहा; मैं तुम से सच सच कहता हूं जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता, और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है, और मैं अंतिम दिन में उसे जिला उठाऊंगा। मेरा मांस तो सच्चा भोजन है और मेरा लहू सच्ची पीने की वस्तु है। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, वह मुझ में बना रहता है, और मैं उस में।
यूहन्ना ४:३४ (७.०५) यीशु ने उन से कहा, मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करूं और उसका कार्य पूरा करूं।